" देवी"
गवाही प्रीत की मैं दूँ
छुपाया तुम करोगी ।
गजल गम के लिखूं मैं
सुनाया तुम करोगी ।
लेखनी से मैं लिखूं
बताया सुन्दर तुम करोगी ।
संकल्प जय का ले चलूं मैं
कारवां बनाया तुम करोगी ।
जीत कर जब मैं चलूं
अजीत बनाया तुम करोगी।
हार जाऊं गर भी मैं
उत्साह दिलाया तुम करोगी।
नीति मानव की लिखूँ मैं
प्रीति रचाया तुम करोगी।
राम जब नर का बनूँ
साथ निभाया तुम करोगी ।
ग्वाला गोकुल का बनूँ मैं
बन्शी चुराया तुम करोगी ।
रास मधुबन का रचूँ जब
नृत्य देवी तुम करोगी ।।
अमन पाल
काशी हिंदू विश्वविद्यालय
वाराणसी 221005
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