Poetry

    Arbindpriy
    @Arbindpriy
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    1 Likes | 2 Views | Jan 20, 2025

    हमने तो सिर्फ हाथ आगे बढ़ाया था

    ये जो आप उंगली पकड़कर दिल तक पहुंच गए हो

    दिल तक पहुंचने का रास्ता किसने दिखलाया था ज़रा मुझे भी बताओगे क्या

    हम अनजान थे अनजान से जान कैसे बन गए

    इस सफ़र का मुकाम क्या है ज़रा मुझे भी बताओगे क्या

    Safar ka sathi