कितने प्यारे होते थे छुट्टीयों के वे दिन
नाना नानी के साथ बिताते थे सारे दिन
मारना तो दूर मां डॉट भी नहीं सकतीं थीं
नानी की ढाल एकदम पक्की थी
दो महीने पलों में बीत जाते थे
अपने घर आकर नाना नानी बहुत याद आते थे
कितने प्यारे होते थे छुट्टीयों के वे दिन
नाना नानी के साथ बिताते थे सारे दिन
मारना तो दूर मां डॉट भी नहीं सकतीं थीं
नानी की ढाल एकदम पक्की थी
दो महीने पलों में बीत जाते थे
अपने घर आकर नाना नानी बहुत याद आते थे
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