लाचार बाप
बूढ़ा हूं बीमार हूं तुमसे मिलना चाहता हूं
पर लाचार हूं बेटी
तेरा नाम लेने से ही घर की शान्ति भंग हो
तेरे को बुलाने पर ना जाने कैसी जंग हो
यही सोच कर चुपचाप बैठा हूं बेटी
ऐसा कोई पल नहीं याद तेरी आती नही
मौत भी रुठी है लेकर मुझे जाती नहीं
गर का राजा था कभी
आज़ कोने में पड़ा हूं
फ़ालतू का सामान लगने लगा हूं
Comments