सर्दी आई ठंडी-ठंडी,
ओस की बूंदें चम-चम चमकी।
सुबह-सुबह कुहरा छाया,
सूरज ने कम ही चेहरा दिखाया।
नानी बोली, रजाई ओढ़ लो,
मम्मी बोली, चाय पकड़ लो।
पापा लाए जलेबी गरम,
सबका मन हो गया मगन।
स्वेटर, दस्ताने, टोपी निकल आए
सर्दी में कोट और जैकेट इठलाए।
अलाव जलाकर सब मिल बैठें
ओढ़े कंबल और रजाई मोटे।
भाप उठती गरम पराठे से,
माँ के प्यार भरे पकवान से।
गाजर का हलवा, मूँगफली,
सर्दी में सबको लगती भली।
बर्फीली हवाएँ चलती हैं,
पेड़ों से पत्तियाँ झरती हैं।
सर्दी में सबक़ो मज़ा आता,
खेल-कूद में दिन बीत जाता।
सर्दी का मौसम है न्यारा,
हर दिन लगता प्यारा-प्यारा।
खुश रहो, मस्ती में झूमो,
सर्दी में तुम दिनभर घूमो!
सूरज भी शर्माता है,
धीरे-धीरे निकल पाता है।
सर्दी का ये प्यारा मौसम,
सबके दिल को भाता मौसम।
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