Offline
एक मैं
शांत चुपचाप
सबके बीच
इस इंतजार में
कि कब मिलूंगी खुद से
अपनी तन्हाई में
समझूंगी खुद को
इस भीड़ से बचकर
एक मैं
हमेशा अपने अस्तित्व को
दबाते हुए
हमेशा हर फर्ज़ निभाते हुए
मिलने कि तलाश में
मैं खुद अपने से
एक मैं
हमेशा ही एक मैं
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एक मैं
शांत चुपचाप
सबके बीच
इस इंतजार में
कि कब मिलूंगी खुद से
अपनी तन्हाई में
समझूंगी खुद को
इस भीड़ से बचकर
एक मैं
हमेशा अपने अस्तित्व को
दबाते हुए
हमेशा हर फर्ज़ निभाते हुए
मिलने कि तलाश में
मैं खुद अपने से
एक मैं
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