सपना था हमारा
लिखू तुझे बड़ी फुरसत से,
दिखे तू बड़ी मुद्दतो से.
निघाओं का इंन्तिसाब हमसे ना पुछो,
चेहरा उसका बंद ऑंखों से बता दे.
हमसे हमारा हाल ना पुछो,
हम तो पूरी दास्ताॅं बता दे.
शाम थी दिवानी सी,
बातो में बीत गई.
रात थी वोह दिवानी सी,
यादों मे गुजर गई.
बताऊ और क्या,
मैने समेटा है वोह हर पल.
फायदा भी उसका क्या,
ना आज पता ना कल.
मौसम भी क्या है बड़ा सक्त,
अब तू भूलजा सभी शिकवे गिले.
थामलू अपने हातोंमे ये वक्त,
शायद दुबारा ना मिले.
इस मेंहफील में हजारो चेहरे है,
मुझे सिर्फ तेरा वजूद चाहिए .
याहा समय तो समंदर सा है,
पर मुझे सिर्फ तेरा थोडा वक्त चाहिए.
येह कोई हकीकत नहीं ,
बस खयाल था तुम्हारा .
जनाब ये कोई प्यार व्यार नहीं,
बस सुबह का सपना था हमारा.
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