मुझे पूजो मत

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12th September 2024 | 3 Views | 0 Likes

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कविता -मुझे पूजो मत

हर जगह पर मेरी छाप

मेरी ताकत का नही है कोइ नाप

मैं पुण्य हू नही हू पाप 

पर दुनिया समझे मुझे एक श्राप 

आसमान और समुंद्र की गहराई हूं 

पापा और मम्मी की परछाई हूं 

बचपन से बात सुनती आई हूं क्या मैं पराई हूं 

हाथो में चुड़िया सजने के लिए पहनी 

पर दुनिया ने सजने को कमज़ोरी समझ लिया 

मेरे हाथो की चूड़ी का मुझे ताहिना दिया 

बोले कि मैं बुजदिल नही क्योंकि मैंने चूड़ियां नही पहनी 

बढ़ी हुई तो कर्ची को थाम लिया 

पर एक बात समझ नहीं पाई 

जब छोटी बहन हुई तो हाहाकार मच गया 

पर जब छोटा भाई हुआ तो जशन मन गया 

क्या मेरी बहन इतनी डरावनी थी 

क्या उसका जन्म वंश की बरबादी थी 

रोटी बनाती तो मैं थी 

पर ज्यादा मेरे भाई को मिली 

लाडला है कहके छोड़ दिया 

पर उन्होंने तो मेरी बहन का दम तोड़ दिया 

पुछा मैंने क्यों किया 

तो बोले हमने बोझ को हल्का किया 

कोई पाप नहीं किया 

बेटी तो होती है पराई 

पराया धन समझ कर 

भगवान को लौटा दिया 

यह बात कोई कहानी नहीं 

यह बात एक जुबानी है 

यह बात कही ना कही हर लड़की की कहानी है 

रोटी कम या ज्यादा 

या घी में नापतोल 

बेटी पराई है या समाज पराया है 

मैं अपनी जिंदगी की मालिक हु

या मेरा अस्तित्व किराया है 

मेरी मम्मी, भाभी,मामी सबकी जरूरत है 

तो फिर मेरे आने में क्या कसूर है 

पूरे साल मैं अपने आप को कोसती आईं 

क्यों भगवान ने मुझे लड़की बनाई

पर नौ दिन कुछ ऐसे आए

जहां मेरे होने पर किसी ने सवाल नहीं उठाए 

मुझे पूजा मेरे पैर धोए 

मुझे शक्ति का नाम दिया 

मुझसे आशीर्वाद लिए

मुझे सचमे उन्होंने पूजा 

और वर मांगा कि भाई हो दूजा 

मुझे भाई बहन से परवाह नहीं 

ना ही चाहती मैं पूजना

बस चाहती हूं मैं दो पल जीना

मुझे पूजो मत 

बस जीने दो

लेखिका 

भूमि भारद्वाज

Bhoomi Bhardwaj

@123GANESHA

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