Disclaimer/Notice as Provided by the Content Creator
Don't copy my content without my permission.किसी गाँव में एक बुढ़िया रहती थी, वह बहुत नियम धर्म से व्रत रखा करती थी। एक दिन भगवान के घर से यमदूत उसे लेने आ गए और वह उनके साथ चल पड़ी। चलते-चलते एक गहरी नदी आई तो यमदूत बोले कि माई ! तुमने गोदान की हुई है या नही ? बुढ़िया ने उनकी बात सुनकर मन में श्रद्धा से गाय का ध्यान किया तो वह उनके समक्ष आ गई और बुढ़िया उस गाय की पूँछ पकड़कर नदी पार कर गई। वह यमदूतों के साथ फिर आगे बढ़ी तो काले कुत्ते आ गए। यमदूत फिर बोले कुत्तों को खाना दिया था ? बुढ़िया ने मन में कुत्तों का ध्यान किया तो वे रास्ते से चले गए।
अब बुढ़िया फिर से आगे बढ़ने लगी तो रास्ते में कौए ने उसके सिर में चोंच मारनी शुरु कर दी तो यमदूत बोले कि ब्राह्मण की बेटी के सिर में तेल लगाया था ? बुढ़िया ने ब्राह्मण की बेटी का ध्यान किया तो कौए ने चोंच मारनी बंद कर दी। कुछ आगे बढ़ने पर बुढ़िया के पैर में काँटे चुभने लगे तो यमदूत बोले कि खड़ाऊ आदि दान की है ? बुढ़िया ने उनका ध्यान किया तो खड़ाऊ उसके पैरों में आ गई। बुढ़िया फिर आगे बढ़ी तो चित्रगुप्त जी ने यमराज से कहा कि आप किसे लेकर आए हो ? यमराज जी बोले कि बुढ़िया ने दान-पुण्य तो बहुत किए हैं लेकिन धर्मराज जी का कुछ नहीं किया इसलिए आगे द्वार इसके लिए बंद हैं।
सारी बात सुनने के बाद बुढ़िया बोली कि आप मुझे सिर्फ सात दिन के लिए वापिस धरती पर भेज दो। मैं धर्मराज जी का व्रत और उद्यापन कर के वापिस आ जाऊँगी। बुढ़िया माई वापिस धरती पर अपने गाँव आ गई और गाँव वालों ने उसे भूतनी समझकर अपने दरवाजे बंद कर दिए। वह जब अपने घर गई तो उसके बहू-बेटे भी दरवाजे बंद कर के बैठ गये। बुढ़िया ने कहा कि मैं भूतनी नहीं हूँ, मैं तो धर्मराज जी की आज्ञा से वापिस धरती पर सात दिन के लिए आई हूँ। इन सातों दिनों में मैं धर्मराज जी का व्रत और उद्यापन करुँगी जिससे मुझे परलोक में जगह मिलेगी।
बुढ़िया की बातों से आश्वस्त होकर बहू-बेटे उसके लिए पूजा की सारी सामग्री एकत्रित करते हैं लेकिन जब बुढ़िया कहानी कहती है तब वह हुंकारा नहीं भरते जिससे बुढ़िया फिर अपनी पड़ोसन को कहानी सुनाती है। और वह हुंकारा भरती है। सात दिन की पूजा, व्रत व उद्यापन के बाद धर्मराज जी बुढ़िया को लेने के लिए विमान भेजते हैं। स्वर्ग का विमान देख उसके बहू-बेटों के साथ सारे गाँववाले भी स्वर्ग जाने को तैयार हो गए। बुढ़िया ने कहा कि तुम कहाँ तैयार हो रहे हो ? मेरी कहानी तो केवल पड़ोसन ने सुनी है इसलिए वही साथ जाएगी।
सारे गाँववाले बुढ़िया से धर्मराजी की कहानी सुनाने का आग्रह करते हैं तब बुढ़िया उन्हें कहानी सुना देती है। कहानी सुनने के बाद सारे ग्रामवासी विमान में बैठकर स्वर्ग जाते हैं तो धर्मराज जी कहते हैं मैने तो विमान केवल बुढ़िया को लाने भेजा था। बुढ़िया माई कहती है कि हे धर्मराज ! मैने जो भी पुण्य किए हैं उसमें से आधा भाग आप गाँववालों को दे दो। इस तरह से धर्मराज ने ग्रामवासियों को भी स्वर्ग में जगह दे दी।
हे धर्मराज महाराज ! जैसे आपने बुढ़िया के साथ सभी गाँववालों को भी स्वर्ग में जगह दी उसी तरह से हमें भी देना। कहानी सुनकर हुंकारा भरने वालों को भी और कहानी कहने वाले को भी जगह देना।