कहतेकहते है लड़किया पराया धन है।
क्या यही मा बाप का अपना पन है?
लड़किया क्यो पराया धन कहलाती है?
जबकी वो भी बेटे की तरह हर धर्म निभाती है।
कहते है लोगो की सोच आगे बढ़ चुकी हैं;
पर नहीं , लोगो ने तो बस रहन सहन मे बदलाव का ओढ़ा हुआ एक चादर वरना तो लोगो की सोच तो वहि खड़ी है।
अपने हि परिवार ने समझा उसको बोज;
तो क्या वो कर पायेगी आगे नाये रिश्तो मे प्यार की खोज।
तुम कितना हि उसे कुछ सुना दो
पर अगर लड़की ने कुछ बोल दिया तो उसे चूपि साधने को कह देते ;
पर क्या उन्हे समझने की कोशिश करते है?
कहते तो है देश विकास कर रहा है;
पर देश तो अभी भी उस ढकोसली सोच को साथ लिए चल रहा है।
अटल है विचार मेरा
मै कभी न इस सोच को अपनाउंगी ;
जो इसका समर्थन,
मे उसके विरुद्ध जाकर उसे गलत साबित करके दिखलाऊंगी।
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