सावन

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    0 Likes | 2 Views | Sep 12, 2024656520 | 22725

    अब कहां वो सावन आता है

    बादल भी मंद मंद मुस्काता है

    वो हफ्ते भर की बारिश कहां 

    तन छोड़ मन भी सुखा रह जाता है

    वो सांझ का सूरज देख कर

    कहां भोर का अहसास कराता है

    वो गलियों में नाव चलाना छोड़

    नदियों में मल्हार बिन पानी चिल्लाता है

    वो छतरी बंद कर भीग के स्कूल से आने वाला

    अब छतरी खोल के धूप से छुपकर आता है 

    वो बादल में इन्द्रधनुष के सातों रंग 

    अब कहां कभी दिख पाता है 

    वो अरवी के पत्तों पर मोतीयों सी चमकती धार

    क्या मोटर के पानी से आ पाता है 

    वो धान के खेतों का कमर तक डुबे रहना

    किस्सों में ही सुनाया जाता है 

    वो मेंढक का टर्राना सुनने को

    अब कान तरस सा जाता 

    बारिश से भींगे सावन का

    मन फिर से आश लगाता है