अवशिष्ट नहीं

    Kabita Rakshit
    @Kabita-Rakshit
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    0 Likes | 6 Views | Sep 12, 2024

    कुछ कहो तो, प्यार से कहो 

    वहीं तो मेरी प्रत्याशा।

    मैंने तुमसे कभी कुछ नहीं मांगा 

    खालि प्यार चाहे।

    उल्टा ही किया, नफरत फैलाये

    दिल का दर्द नहीं समझा,

    ऐसा ही होता है, जितना प्यार 

    उतना ही कष्ट,

    तुम्हें कुछ नहीं हुआ।

    रिश्ता अब नहीं रहा बाकी 

    धोकर साफ।

    रिश्ता का कभी अस्तित्व नहीं था 

    कर देना माफ।

    भूल कैसे जाऊं, मृत्यु तक रहेगा 

    हृदय के गुप्त स्थल में।

    कोशिश करेंगे नहीं भूल जाने का

    डूब जाऊंगा विस्मृत का तलों में।

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