मैंने मुझसे कुछ कहा है,
इक वादा किया है
कि जीवन कम पड़ जाए,
ऐसा ख़्वाब बुना है।
औरों का भी सुना है,
उनके सपनों को भी देखा है।
कुछ बड़े, कुछ छोटे,
कुछ पूरे, तो कुछ को अधूरे रह जाते देखा है।
कहे-अनकहे, सुने-अनसुने,
कुछ सच्चे, तो कुछ झूठे किस्सों को भी सुना है।
हर किस्सों में खुद को ढूंढा है,
उनकी जीत को खुद का माना है।
कुछ हसरतें सजाई हैं,
कुछ शौक भी पाले हैं।
कुछ औरों को देख के आई,
तो कुछ ख़ुद ही तराशें हैं ।
बस ज़िद है कि वादा निभाना है,
हसरतों को परवान चढ़ाना है।
सपने अपने भी पूरे हों,
एक किस्सा तो अपना भी बनाना है।
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