वादीयों की हवाएं, और बहारें खूब हैं,
टेढ़े-मेढ़े रास्तों पे, झरनों की फ़ुहारें खूब हैं,
चाहें हो गंगा का किनारा, या देवप्रयाग का संगम,
जहाँ भी देखो, ऐसे नज़ारे खूब हैं।
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वादीयों की हवाएं, और बहारें खूब हैं,
टेढ़े-मेढ़े रास्तों पे, झरनों की फ़ुहारें खूब हैं,
चाहें हो गंगा का किनारा, या देवप्रयाग का संगम,
जहाँ भी देखो, ऐसे नज़ारे खूब हैं।
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