lover of parijat tree10th December 2022by Rakesh Rakeshपारिजात या हरसिंगार के पौधे लगभग पूरे भारत में पाए जाते हैं। यह पौधे अपने सुंदर सुगंधित सफेद और नारंगी फूलों से जाने जाते हैं। इसमें शारदीय नवरात्रों से पहले फूल आने लगते हैं। और यह प्राकृतिक रूप से धार्मिक आस्था से जोड़कर भी देखा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पारिजात के वृक्ष को स्वर्ग से लाकर धरती पर लगाया गया था। इस वृक्ष की विशेषताएं पहली चिर यौवन श्री कृष्ण ने देवी रुक्मणी को यह दिया था। वह चिर यौवन हो गई थी। पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। इसे इंद्र ने अपनी वाटिका में रोप दिया था। दूसरा तनाव घटाता है पारिजात के फूल आपके जीवन से तनाव घटाकर खुशियां ही खुशियां भर सकने की ताकत रखते हैं। थकान मिटाताहै। पारिजात के यह अद्भुत फूल सिर्फ रात में ही खिलते हैं। और सुबह होते होते वह सब मुरझा जाते हैं। पारिजात के वृक्ष को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है। शांति और समृद्धि लाता है। लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो अपने आप पेड़ से टूट कर नीचे फूल गिर जाते हैं। यहफूल जिसके भी घर आंगन में खिलते हैं वहां हमेशा शांति और समृद्धि का निवास होता है। हृदय रोग में लाभदायक हृदय रोग के लिए हरसिंगार का प्रयोग बेहद लाभकारी है। साल में बस एक ही महीने फूल खिलते हैं जिस स्थान पर पारिजात की समाधि बनाई गई उस पर यह वृक्ष उगा आया और तब से इस वृक्ष का नाम पारिजात पड़ गया शायद यही कारण है कि रात के समय इस वृक्ष को देखने से लगता है। मानो यह रो रहा है। सूरज की रोशनी में यह खिलखिला उठता है। पारिजात के फूलो और वृक्ष से परिचित होने के बाद तमिलनाडु की राजकुमारी मीनाक्षी को उस से प्रेम हो जाता है। यह प्रेम स्त्री-पुरुष के बीच पवित्र निस्वार्थ सच्चा था। तमिलनाडु के महाराज अपने मंत्री को आदेश देकर राजकुमारी की इच्छा पूरी करने के लिए परिजात के पौधे को अपने महल के शाही बगीचे में लगवा देते हैं। पौधा जिस जगह लगा हुआ था राजकुमारी मीनाक्षी के कमरे के रोशनदान खिड़की से पारिजात का पौधा साफ दिखाई देता था। शारदीय नवरात्रि आने वाले थे। भोर के समय पारिजात के फूल खिले हुए थे। राजकुमारी स्नान करके एक वर्ष के इंतजार के बाद अपने प्रेमी पारिजात के फूलों से मिलने की तैयारी कर रही थी। उसी समय मीनाक्षी की नजर अपने महल के कमरे के रोशनदान से जाती है कि एक युवक परिजात के वृक्ष और फूलों से कुछ छेड़खानी कर रहा है। राजकुमारी मीनाक्षी तुरंत अपनी दाशियों को उस युवक को गिरफ्तार करने का हुकुम देती है। सैनिक उस युवक को राजकुमारी के सामने पेश करते हैं, वह युवक उस शाही बगीचे का नया माली था। देखने में वह युवक किसी राजकुमार से कम दिखाई नहीं दे रहा था। मीनाक्षी को पारिजात के फूलों की देखभाल के लिए वह युवक बहुत पसंद आजाता है। राजकुमारी उसके फटे पुराने वस्त्र देखकर उसे नए वस्त्र खरीदने के लिए दो सोने की मोहर देती है। और उसका नाम माधव से बदलकर पारिजात रख देती है। माधव अपने मन ही मन बहुत हंसता है कि बेवकूफ राजकुमारी पारिजात के वृक्ष और फूलों की प्रेमिका है। और अपनी मां और छोटी बहन को राजकुमारी का किस्सा सुना कर बहुत हंसता है। राजकुमारी मीनाक्षी से रोज मिलने और बातें करने से माधव धीरे धीरे राजकुमारी मीनाक्षी के रंग रूप मधुर वाणी का दीवाना होने लगता है। पारिजात के फूलों की बहुत अच्छी तरह देखभाल करने की वजह से मीनाक्षी माधव के दोनों हाथों की हथेली को प्यार से चूमती है। और हाथों के चुंबन के बाद माधव मीनाक्षी के प्रेम में पूरी तरह दीवाना हो जाता है। माधव के हाथों की हथेली के चुंबन के बाद राजकुमारी मीनाक्षी को ऐसा एहसास होता है कि पारिजात का वृक्ष स्वयं माधव के रूप में मानव बन कर अपनी प्रेमिका राजकुमारी मीनाक्षी के पास आया है यानि कि मेरे पास आया है। उस दिन राजकुमारी से मोहब्बत होने के बाद माधव को राजकुमारी और पारिजातके वृक्ष से सच्चे प्रेम का एहसास हो जाता है। उसे पता था अगर वह अपने पवित्र और सच्चे प्रेम का इजहर राजकुमारी मीनाक्षी के सामने कर दूंगा तो वह भी किसी की प्रेमिका है, वह मेरे सच्चे प्रेम की कदर करेगी। औरउसके मन का यह विश्वास सच निकलता है। राजकुमारी मीनाक्षी को पारिजात से जुड़ी हर एक चीज से प्रेम था। इसलिए राजकुमारी मीनाक्षी को माधव पारिजात का मनुष्य रूप लगता है। और दोनों के बीच प्रेम हो जाता है। दोनों के प्रेम की चर्चा महाराज के कानों तक पहुंच जाती है। महाराज राजकुमारी और माधव को मृत्युदंड देने की घोषणा कर देते हैं। राजकुमारी और माधव की अंतिम इच्छा थी, कि हम दोनों को एक साथ पारिजात के वृक्ष के नीचे फांसी पर लटकाया जाए और फांसी देने से पहले हम दोनों के गले में पारिजात के फूलों की माला पहनाई जाए। दोनों की इच्छा केअनुसार जैसे ही फांसी दी जाती है, वहां एक देवता स्वरूप युवक ना जाने कहां से प्रकट हो जाता है। जल्लाद को फांसी दे देने से रोक देता है। उस देवता स्वरूप युवक के व्यक्तित्व और मधुर वाणी से प्रभावित होकर महाराज भी कुछ समय के लिए फांसी रोकने का आदेश दे देते हैं। वह युवक महाराज और सभी सभा गणो और प्रजा को प्रणाम करके कहता है कि दुष्ट मनुष्य का धर्म होता है, दुष्टता पहुंचाना उसकी दुष्टता के कारण धरती पर सभी जीव जंतु प्रकृति दुख और कष्ट ही मिलता है। और धर्मी मनुष्य सबके सुख की कामना करता है। अर्थ यह है कि पारिजात के फूलों ने अपने गुणों से धरती में आनंद और सुख ही दिया है। हमसे कुछ भी नहीं लिया है।राजकुमारी ने उसके गुणों की कदर की और उससे पवित्र सच्चा प्रेम किया और प्रेम का बीज धरती पर रहने वाले सभी जीव जंतु के मन दिल में परमात्मा ने बोया है। यह सब कह कर वह युवक भीड़ में कहीं गायब हो जाता है। वहां पर उपस्थित सभी मंत्री नागरिक महाराज उस देवता तुल्य युवक की बातों का बहुत प्रभाव पड़ता है। और महाराज माधव को 5 गांव दान में दे कर राजकुमारी मीनाक्षी से माधव की शादी करवा देते हैं। पड़ोसी राज्यों में भी महाराज के इस फैसले का स्वागत होता है। और एक चर्चा पूरी दुनिया में फैल जाती है कि स्वयं पारिजात के वृक्ष ने मानव रूप मेराज्यसभा में आकर राजकुमारी और माधव को मिलवाया है। Last Seen: Jan 31, 2023 @ 4:11am 4JanUTC Rakesh Rakesh Ved Ram followers2 following0 Follow Report Content Published: 10th December 2022 Last Updated: 10th December 2022 Views: 12previousराहेंnextAMBIGUITY. 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