child bride9th December 2022by Rakesh Rakesh16 बरस का नंदू शर्म से पानी पानी हो रहा था। क्योंकि उसको और उसकी 13 बरस की नई नवेली दुल्हन को गांव की बड़ी बूढ़ी महिलाएं आशीर्वाद देने आ रही थी। और बार-बार अपनी दादी से नंदू नाराज हो रहा था, क्योंकि 16 बरस की छोटी आयु में उसकी शादी दादी की जिद के कारण ही हुई थी। तभी मर्दों की चौपाल से नंदू के जीजा की आवाज आती है। “साले बाबू आज का दिन तो हमारे साथ बिता लो चिंता मत करो पूरी जिंदगी के दुल्हन के दिन रात तुम्हारे ही तो हैं।” अपने जीजा की बात बीच में काटकर नंदू जल्दी से खड़ा होकर कहता है “आ गया आ गया जीजा जी” नंदू को ऐसी खुशी महसूस होती है, जैसे वह जंगल के आदमखोर शेरों के झुंड से आजाद हो गया हो। चौपाल में जाकर नंदू पलंग पर लेट जाता है, क्योंकि दो-तीन दिन के शादी के रीति रिवाज उसके बाद फेरों की थकान नंदू को बहुत थी। उसी समय नंदू का एक मित्र चौपाल में आकर कहता है, “नंदू की दुल्हन रत्ना को बहुत तेज बुखार है। नंदू को नंदू के बाबूजी बुला रहे हैं। रत्ना को पड़ोस के गांव के वैध जी के पास दवाई दिलवाने जाने के लिए।” नंदू थकान का बहाना करके साफ मना कर देता है। फिर नंदू के जीजा जी और नंदू की बड़ी बहन नंदू के चाचा जी की बैलगाड़ी से रत्ना को दवाई दिलवा कर लाते हैं। नंदू की भाभीसबके खाना खाने के बाद नंदू के कमरे में रत्ना का बिस्तर लगा देती है। नंदू इस बात से भाभी से बहुत नाराज होता है। और कहता है “मुझे अकेले सोने की आदत है।” लेकिन जैसे जज साहब के द्वारा मुजरिम को सजा सुनाए जाने के बाद मुजरिम की कोई नहीं सुनता वैसे ही नंदू की भी कोई नहीं सुनता। और जब रत्ना रात को नंदू के कमरे में सोने आती है। तो नंदू से पूछती है? नंदू दोपहर को तुम मुझे वैध जी के पास दवाई दिलवाने नहीं ले गए और अब अपने कमरे में मुझे सोने नहीं दे रहे। रत्ना इस तरह नंदू से बात करती है कि जैसे कई जन्मों से नंदू को जानती है। फिर दोनों बचपन से लेकर शादी तक के किस्से सुबह 4:00 बजे तक एक-दूसरे को सुनाते हैं। नंदू को बहुत खुशी होती है कि उसे रत्ना के रूप में इतनी प्यारी और अच्छी दोस्त मिल गईहै। रत्ना नंदू का ध्यान अपनी तरफ करके नंदू से कहती है, “अब हम सो जाते हैं। कल बसंत पंचमी है, सरस्वती मां की पूजा होगी फिर होली रखी जाएगी होली का त्योहार मुझे सबसे ज्यादा पसंद है।” फिर दोनों धीरे-धीरे बातें करते-करते सो जाते हैं। होली से पहले रत्ना अपने पिता भाई मामा के साथ मायके चली जाती है। रत्ना के जाने के बाद होली पर नंदू को रत्ना की बहुत ज्यादा याद आती है।और वह घर में बिना बताए चुपचाप चाचाजी की बैलगाड़ी लेकर रत्ना से मिलने अपनी ससुराल पहुंच जाता है। ससुराल में रत्ना की सहेलियां रत्ना का दीवाना कहकर नंदू की खूब मजाक उड़ाती हैं। और नंदू को गुलाल लगा लगाकर लाल पीला हरा कर देती है। रत्ना एक बार भी नंदू को अपनी सहेलियों से नहीं बचाती। इस बात से नंदू रत्ना से नाराज हो जाता है। तो रत्ना कहती है, “उनसे ज्यादा मेरा मन कर रहा था तुम्हारे साथ होली खेलने का।” दोनों को प्यार मोहब्बत और दोस्ती के साथ जीवन जीते हुए 3 बरस बीत जाते हैं। और रत्ना गर्भवती हो जाती है। जिस दिन जलने वाली होली होती है। उसी रात रत्ना के पेट में दर्द उठता है। नंदू के पिताजी भागकर गांव की दाई को बुला कर लाते हैं। दाई को जितनी जानकारी थी, वह अपनी तरफ से उतनी पूरी कोशिश करती हैं। दाई हार मान कर कहती है, “मैं बच्चे को जन्म नहीं दिलवा पाऊंगी। आपको अपनी बहू को शहर के बड़े अस्पताल में ले जाना पड़ेगा।” नंदू नंदू के पिताजी चाचाजी बैलगाड़ी से रत्ना को शहर के बड़े अस्पताल लेकर जाते हैं। वहां अस्पताल में पहुंचकर रत्ना एक बहुत सुंदर बेटी को जन्म देती है। डॉक्टर साहब बाहर आकर नंदू के पिताजी इसे कहते हैं कि “छोटी उम्र में मां बनने की वजह से हम आपकी बहू रत्ना को नहीं बचा पाए।” यह सुनने के बाद नंदू को चक्कर आ जाते हैं। और वह बेहोश हो जाता है। दूसरे दिन जब रंग वाली होली दुल्हंडी पर रत्ना की चिता को नई नवेली दुल्हन जैसे सजाकर जब नंदू अग्नि देता है। तो सोचता है अगर मैं जिद पर अड़ जाता कि रत्ना जब तक 18 वर्ष की नहीं होगी मैं तब तक उससे शादी नहीं करूंगा। तो आज मेरी सबसे प्यारी हमसफर दोस्त पत्नी जिंदा होती। नंदू को ज्यादा दुखी देखकर नंदू के जीजाजी नंदू के पास आकर उसको तसल्ली देते हुए कहते हैं कि “तुम दोनों तो नाबालिग थे। रत्न की हत्या के दोषी हम बालिक समाज के लोग हैं।” Last Seen: Jan 31, 2023 @ 4:11am 4JanUTC Rakesh Rakesh Ved Ram followers2 following0 Follow Report Content Published: 9th December 2022 Last Updated: 9th December 2022 Views: 14previousWORDS FOR A SUCCESSFUL MIND 2nextइबादत Leave a Reply Cancel replyYou must Register or Login to comment on this Creation.