अंतिम यात्रा/ last journey4th June 2023by Rakesh RakeshHome » Creations » अंतिम यात्रा/ last journey सावन गढ़ गंगा यूपी बृजघाट का रहने वाला था। वह दिल्ली में प्राइवेट एंबुलेंस चलाता था। बाहरी दिल्ली में एक अस्पताल था। जहां पस्टमार्टम की सुविधा नहीं थी। पोस्टमार्टम के लिए शवोको दिल्ली के बड़े अस्पताल ले जाना पड़ता था। दिल्ली पुलिस काजो भी ड्यूटीकांस्टेबल होता था, वह सावन की एंबुलेंस से ही पोस्टमार्टम के लिए लाशों को बड़े अस्पताल भिजवाता था। सावनपैसा इकट्ठा करके होली दिवाली या फिर गांव में कोई शादी ब्याह होती थी। तो अपने गांव जरूर जाता था। सावन के माता पिता का स्वर्गवास हो गया था। गांव में उसका एक बड़ा भाई रहता था। बड़े भाई ने सावन की शादी के लिए एक अच्छे खानदान की लड़की देखी थी। इसलिए सावन उस लड़की को देखने के लिए अपने गांव जाता है। गांव में उसका बचपन का मित्र शिवम रहता था। सावन जब भी गांव जाता था, शिवम के परिवार के लिए उपहार जरूर लेकर जाता था। शिवम की एक छोटी बहन और विधवा मां थी। शिवम ईट के भट्टे पर काम करता था। शिवम के पास खेती की जमीन का छोटा सा टुकड़ा भी था। गांव पहुंच कर सावन को शिवम की मां से पता चलता है, की उनकी घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। शिवम बहन की शादी के लिए पैसे इकट्ठा करना तो दूर वह ईट के भट्टे की नौकरी से परिवार का पेट भी नहीं भर पाता था। शिवम की परेशानी को समझकर सावन उसे अपने साथ दिल्ली ले आता है। दिल्ली में कोई छोटी-मोटी नौकरी करने के लिए। दिल्ली पहुंचकर सावन और शिवम एक रात अपने कमरे पर सो रहे थे, तभी अस्पताल से ड्यूटी कांस्टेबल का फोन आता है, की रेल की पटरी के पास किसी महिला की आधी जली हुई लावारिसलाश मिली है। उसे पोस्टमार्टम के लिए बड़े अस्पताल ले जाना है। रात के 1:30 बज रहे थे। सर्दियों का मौसम था। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। चारों तरफ कोहरा छाया हुआ था। कोहरे की वजह से दूर तक दिखाई नहीं दे रहा था। अस्पताल पहुंचकर सावन और शिवम लाश को एंबुलेंस में लिटा कर बड़े अस्पताल की तरफ पोस्टमार्टम करवाने के लिए निकल जाते हैं। कुछ किलोमीटर जानेकेबादसावन एंबुलेंस को रोक देता है। और शिवम से कहता है, जो थोड़ी सी दूर चाय की दुकान दिखाई दे रही है, “मे वहां से तुम्हारे लिए और अपने लिए चाय बिस्कुट लेकर आता हूं। अगर तुम्हें साथ चलना है, तो चलो”शिवम को पता था, की सावन को शराब पीने की लत है, शराब पीने जा रहा है। उस समय रात के 2:30 बज रहे थे। सावन ने जहां एंबुलेंस खड़ी की थी। वहां एक पीपल का पेड़ था। और पेड़ के पीछे घनी कांटेदार झाड़ियों थी। शिवम ड्राइवर की साथ वाली सीट पर चुपचाप बैठ जाता है। उसके पीछे आदि जली हुई महिला की लाश रखी हुई थी। अचानक एक बड़ा सा उल्लू जिसकी लाल लाला आंखें थी अपने पर फड़फड़ कर एंबुलेंस पर हमला कर देता है। शिवम जल्दी से एंबुलेंस का शीशा बंद कर लेता है। अचानक शिवम को एंबुलेंस के सामने वालेशीशे में दो लाल-लाल आंखें दिखाई देती है।शिवम जैसे ही घबराहट में एंबुलेंस से उतरकर भागने की कोशिश करता है, पीछे से वह आधी जली हुई महिला की लाश का हाथ शिवम के कंधे को पकड़ लेता है।शिवम महादेव का नाम लेकर जल्दी से एंबुलेंस से उतरने में सफल हो जाता है। और सावन की तरफ भागने लगता है। सामने से नशे में झूमता हुआ सावन आ जाता है। नशे की वजह से सावन शिवम की सारी बात समझ नहीं पाता।और दोनों उस महिला की लावारिस लाश को लेकर बड़े अस्पताल के मुर्दाघर पहुंच जाते हैं।मुर्दा घर के गेट पर आज एक ही कर्मचारी था। और उसे भी सर्दी की वजह से तेज बुखार था। वह शिवम से कहता है, “आज तुम दोनों ही इस लाश को मुर्दा घर के अंदर छोड़ कर आ जाओ। मुझे तेज बुखार है, और दूसरा कर्मचारी छुट्टी पर है।सावन और शिवम उस महिला की लाश को स्ट्रेचर पर लिटा कर मुर्दा घर के अंदर जैसे ही लेकर जाते हैं, शिवम का दिल तेज तेज धड़कने लगता है। वहां पहले से ही 10-15 मुर्दे रखे हुए थे। शिवम को ऐसा महसूस होता है, कि वह सब मुर्दे उसी को देख रहे हैं। पहली उस एंबुलेंस की घटना दूसरी मुर्दाघर में मुर्दों को देख कर शिवम को बुखार चढ़ जाता है। उसका सर भारी हो जाता है। दिल की धड़कन तेज हो जाती है। अब शिवम को रोज भूतों चुड़ैलों के सपने आने लगते हैं। वह हर रोज रात को सपने में डरने लगता है। शिवम सावन से कहता है “कि मे अपने घर जाना चाहता हूं। उसकी ऐसी हालत देखकर सावन भी तैयार हो जाता है। और उसे बहुत से रुपए उधार देता है।और शिवम की मां बहन के लिए कपड़े और सामान खरीद कर देता है। और कहता है, “धीरे-धीरे कमा कर आराम से मेरे पैसे लौटा देना।”बसअड्डे पर पहुंचकर शिवम के सारे पैसे चोरी हो जाते हैं। कपड़े और सामान बच जाता है। शिवम सोचता है मैं दुबारा सावन के पास जाऊंगा तो वह सोचेगा पैसे लौटाने की वजह से चोरी का झूठा बहाना बना रहा है। इस वजह से शिवम बिना टिकट रेल से जाने का फैसला लेता है। रेल के डिब्बे में शिवम को बिना टिकट सफर करने के जुर्म मेंटीटी पकड़ लेता है। एक पैर सेअपाहिज व्यक्ति शिवम का बिना टिकट का जुर्माना देकर शिवम को छुड़वा लेता है। उस व्यक्ति के पास एक बैग था। और एक पिंजरा था, जिसमें काले रंग की बिल्ली थी। बातों बातों में शिवम को पता चलता है कि वह अपाहिज आदमी उसके पास वाले गांव का ही रहने वाला है। रेल लेट हो जाती है शिवम और वह अपाहिज व्यक्ति रात के 12:00 बजे रेलवे स्टेशन पर उतरते हैं।एक टांग से अपाहिज व्यक्ति कहता है “इतनी रात को अब ना तो कोई रिक्शा मिलेगा ना मिनी बस ना टेंपो हमें यहां से अब पैदल ही जाना पड़ेगा। सर्दी की अंधेरी रात में वे एक टांग सेअपाहिज व्यक्ति और शिवम जंगल और खेतों केअंधेरे रास्ते में चलने लगते हैं। उस एक टांग से अपाहिज व्यक्ति ने शिवम की मदद की थी। इसलिए शिवम उसका बैग और बिल्ली का पिंजरा खुद ले लेता है। वह व्यक्ति चलते चलते बहुत पीछे रह जाता है। इस वजह से शिवम पीछे मुड़कर उस व्यक्ति को देखता है। उस व्यक्ति को इस हालत में देखकर शिवम के होश उड़ जाते हैं। वह व्यक्ति एक पुराने बरगद के पेड़ पर सफेद रंग का कुर्ता पजामा पहने झूल रहा था डरावनी भयानक आवाजें मुंह से निकाल रहा था। और शिवम कोगालियां दे रहा था। शिवम वहां से भागने लगता है। शिवम भागते भागते एक पत्थर से ठोकर खाकर गिर जाता है। और उसके हाथ में जो बिल्ली का पिंजरा था वह गिरकर खुल जाता है। उसमेंसे काली बिल्ली निकलकर शिवम की गर्दन से चिपक जाती है। और तरह-तरह की भयानक आवाज निकाल कर रोने लगती है। शिवम किसी तरह अपनी गर्दन को बिल्ली से छूटवाता है और आंख बीच कर भागने लगता है। और अचानक एक सूखे कुएं में गिर जाता है। सूखे कुऐ के अंदर पहले से ही बहुत सी शैतानी आत्माएं थी। वह सब शिवम से चिपक जाती है। और सुबह के 4:00 बज जाते हैं। शिवम आता है। वह कुएंके अंदर था। उसके चेहरे पर जगह-जगह जख्म हो गया था उसमें से खून बह रहा था।कपड़े भी फट गए थे। शिवम के हाथ में महादेव का लॉकेट था। उसे पता नहीं चला था, कि वह लॉकेट उसने अपने गले से तोड़कर कब हाथ में पकड़ लिया था।शिवम को सब समझ आ जाता है, कि इस महादेव के लॉकेट की वजह से ही मेरी जान रात को बच गई। शिवम अपने गांव पहुंच करअपनी मां और आस-पड़ोस के लोगों को रात की सारी घटना के विषय में बताता है। शिवम की मां और गांव के कुछ लोग मिलकर उसी समय शिवम को बृजघाट गंगा किनारे एक बहुत बड़े सिद्ध साधु के पास लेकर जाते हैं। सिद्ध साधु शिवम की सारी बात सुनने के बाद कुछ देर आंखें बंद करने के बादकहते हैं “शिवम तुम एक पवित्र आत्मा हो वह सब भटकती आत्माएं हैं। वह तुम्हारे द्वारा अपनी आत्मा की शांति करवाना चाहती है। इसलिए तुम्हें उन आत्माओं की शांति के लिए एक पूजा करनी होगी। उन आत्माओं को शांति मिल जाएगी साथ ही तुम्हारा भी ईश्वर कुछ भला जरूर करेगा। शिवम अपनी खेती की जमीन का छोटा सा टुकड़ा बेचकर सिद्ध साधु से गंगा घाट पर उन भटकती आत्माओं की शांति के लिए पूजा करवाता है। पूजा के बाद शिवम के जीवन में धीरे-धीरे खुशियां आने लगती है। वह अपने गांव मेंएक हलवाई की दुकान खोलता है। दुकान से जो भी पैसा आता है। उसमें से जमा करके वह साल में लावारिस भटकती आत्माओं की शांति के लिए पूजा करवाता है। शिवम गरीब लोगों की लाशों का अपने पैसे से अंतिम संस्कार करने लगता है।ऐसा करने से शिवम की एक दुकान से दो दुकाने हो जाती है। 2 से 3 और वह बहुत अमीर हो जाता है। और बड़ी धूम-धाम से अपनी और अपनी बहन की शादी करवाता है। शिवम भटकती आत्माओं की शांति के लिए साल में पूजा जरूर करवाता था। अब शिवम की बहन शिवम की मां और शिवम के जीवन में खुशियां जाती है। जब भी सावन को जरूरत होती थी। शिवम उसकी मदद जरूर करता था। Last Seen: Jun 4, 2023 @ 10:29am 10JunUTC Rakesh Rakesh Ved Ram followers2 following0 Follow Report Content Published: 4th June 2023 Last Updated: 10th October 2022 Views: 12 previousRecession Prediction 2023: Are We Headed Into Recession?nextPS10 Release Date, Price, Features, Specs, Leaks (Latest News) Leave a Reply Cancel replyYou must Register or Login to comment on this Creation.