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Midwife दाई मां

यूपी में मथुरा के पासछोटे से गांव में यशोदा नाम कीमहिला रहती थी। वहदाई के काम में इतनी होशियार थी, कि बड़े-बड़े डॉक्टर भी उसको नमस्कार करते थे।आसपास के गांवों के लोग उसे उसके असली नाम यशोदा से नहीं पहचानते थे, बल्कि सब उसे दाई मां के नाम से पुकारते  थे। दाई के काम की वजह से आस-पास के गांव मे उसका बहुत मान सम्मान और इज्जत थी। लड़का हो या लड़की सब लोग दाई मां को बहुत  सम्मान और  उपहार देते थे। दाई मां के माता पिता का एक महामारी के कारण स्वर्गवास हो गया था। दाई मां का एक छोटा भाई था, जिसका नाम कन्हैया था। दाई मां  ने उसको माता-पिता दोनों का प्यार देखकर पाल पोस कर बड़ा कर दिया था। दाई मां हर साल कृष्ण जन्माष्टमी को  एक दिन पहले मथुरा के मंदिर में चली जाती थी और कृष्ण जन्माष्टमी की दूसरे दिन अपने गांव आती थी। 

दाई मां ने अपने छोटे भाई के कारण विवाह नहीं किया था। और अपना सारा जीवन अपने छोटे भाई को समर्पित कर दिया था। दाई मां ने अपने छोटे भाई को पढ़ा लिखा  कर एक सफल व्यक्ति बना दिया था। और छोटे भाई की एक खानदानी परिवार में शादी की थी। पर छोटे भाई की शादी के बाद दाई मां का बुरा समय शुरू हो गया था। छोटे भाई की पत्नी दाई मां से इसलिए नफरत करती थी। क्योंकि उसके पति कन्हैया की संपत्ति में आधा हिस्सा दाई मां का था। दाई मां का भाई अपनी पत्नी का गुलाम था।  पत्नी के हाथों  की कठपुतली था। जन्माष्टमी का दिन था दाई मां  एक दिन पहले मथुरा के मंदिर में चली जाती है। इस बात का फायदा उठाकर उसके छोटे भाई की पत्नी गांव की सारी संपत्ति बेच कर अपने पति को लेकर शहर भाग जाती है। और शहर में एक  मकान खरीद लेती है। कन्हैया को भीशहर में एक नौकरी मिल जाती है। गांव में दाई मां का बहुत सम्मान इज्जत थी। इस लिए गांव के सब लोग मिलकर दाई मां को एक छोटा सा झोपड़ा बना कर दे देते हैं। खाने पीने की दाई मां को कमी नहीं थी। गांव के किसी न किसी घर से खाना आ जाता था। समय के बीतने के साथ-साथ दाई मां बूढ़ी  होने लगती है। दाई  मां के जीवन में बहुत अकेलापन आ जाता है। दाई मां के पास एक गिलास पानी पिलाने वाला भी कोई नहीं था। सर्दियों का मौसम था। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। दाई मां को हल्का खांसीबुखार था। उसी समय कोई दूसरे गांव का व्यक्ति दाई मां के  घर का दरवाजा खटखटाता  है। दाई मां जैसे ही दरवाजा खोलती है। वह  आदमी दाई मां के पैर पकड़ लेता है, और कहता है “मेरी पत्नी मां बनने वाली है। उसकी हालत बहुत खराब है। शहर का अस्पताल बहुत दूर है। वहां तक पहुंचते-पहुंचते उसकी जान को खतरा हो सकता है।”दाई मां जाने से मना करती हैं। उस आदमी के बार-बार विनती करने से दाई मां को उस पर तरस आ जाता है। दाई मां की सहायता से उस व्यक्ति की पत्नी एक खूबसूरत लड़की को जन्म देती है। वह व्यक्तिदाई मां से कहता है “आज  की रात में आपकी दावत करूंगा और सुबह बहुत सा उपहार देकर आप को खुद आपके घर छोड़कर आऊंगा। उसी रात उस व्यक्ति के आंगन के एक कोने में एक कुत्तिया  बहुत सुंदर कुत्ते के बच्चों को जन्म देती है। उसमें से एक छोटा सा काले रंग काकुत्ते का पिल्ला  दाई  मां को बहुत पसंद आता है।

और दाई मां उस व्यक्ति से कहकर उस कुत्ते के पिल्ले को अपने घर ले आती है। उस कुत्ते के पिल्ले का नाम भीम रखती है। भीम कुत्ता बड़ा होकर एक चीते की तरह खूंखार और ताकतवर बन जाता है। भीम कुत्ते को गांव के लोग भी बहुत पसंद करते थे। क्योंकि वह गांव की गाय भैंस भेड़ बकरियों को  जंगल मेंचुगाने ले जाता था। और शाम को इकट्ठा करके घर वापस लाता था।   भीम कुत्ते  के डर की वजह से गांव में चोर भी नहीं आते थे। और खूंखार जंगली जानवरों का  आना भी बंद होगया था। भीम एकशिकारी कुत्ता था शिकार से भी अपना पेट भर लिया करता था। और पूरे गांव के लोग उसे कुछ ना कुछ खाने केेेेे लिए देते थे।  दिवाली का समय था।  दाई मां भीम कुत्ते के साथ दिवाली का सामान खरीदने के लिए शहर जाती है। शहर में एक यात्री बस को आतंकवादियों ने अपने कब्जे में ले रखा था। उस बस को सेना और पुलिस ने चारों तरफ से घेर रखा था।आतंकवादियों की मांग थी।

Pअपने किसी आतंकवादी साथी को छुड़वाने की। चारों तरफ भीड़ भाड़देख कर  दाई मां भी  भीम कुत्ते के साथ बस को देखने के लिए खड़ी हो जाती है। उसी समय बस की एक खिड़की  में से एक महिला आवाज लगाकर कहती है “दीदी हमारी जान बचा लो’दूसरी खिड़की में से एक व्यक्ति आवाज लगाता है। “बहनमुझे माफ कर दो आज किसी तरह हमारी जान बचा लो।”भीम कुत्ता समझ जाता है कि यह दाई मां के कोई सगे संबंधी है। और हमसे प्यार करने वाले हैं। और साथ ही किसी बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं। भीम कुत्ता ताकतवर होने के साथ-साथ बुद्धिमान और चतुर भी था। भीम कुत्ता बिना सोचे समझे उन आतंकवादियों पर हमला कर देता है। भीम कुत्ता बुद्धिमान था। इसलिए सबसे पहले जिस आतंकवादी ने ड्राइवर को बंदी बना रखा था उस पर हमला करता है। और ड्राइवर को छुड़वा देता है। फिर दूसरे आतंकवादी को चीर फाड़ देता है। सारे आतंकवादी घबरा जाते हैं और मौका देखकर पुलिस और सेना और आतंकवादियों को पकड़ लेती है। उस बस के अंदर से जिन लोगों ने मदद मांगी थी वह दाई मां का छोटा भाई कन्हैया और उसकी पत्नी थी। वह दाई मां से माफी मांगते हैं। दाई मां उनको माफ कर देती है। भीम कुत्ते की बहादुरी की खबर अखबारों में छप जाती है। और वह रात तो रात पूरी दुनिया में मशहूर हो जाता है। सरकार पुलिस और सेना की सिफारिश पर भीम कुत्ते को पुरस्कार और पुलिस में सरकारी नौकरी देती है। भीम कुत्ते को जब पहली तनख्वाह मिलती है। तो  दाई मां उसके साथ जाती  है। पुलिस के अफसर जब उसे तनख्वाह देते हैं, तो वह दाई मां की धोती पकड़कर अफसरों के आगे कर देता है पुलिस के अफसर समझ जाते हैं,की भीम अपनी तनख्वाह दाई मां को देना चाहता है।

  उस दिन से हर महीने दाई मां भीम के साथ तनख्वा लेने जाती थी। दाई मां बहुत समझदार और सुलझी हुई महिला थी। वह   भीम की तनख्वाह में से कुछ पैसे बचा कर पहले एक गाय खरीदती है।  उसके बाद दूसरी धीरे-धीरे दाई मां एक दूध की डेयरी फार्म बना लेती है। दूध की डेरी फार्म से जो कमाई होती थी उसमें से कुछ हिस्सा अनाथ आश्रम वृद्धा आश्रम गरीब लड़कियों की शादी ब्याह और गरीबों के भंडारे में खर्च करती थी।

अपने इष्ट  देव कृष्ण भगवान और भीम कुत्ते की वजह से दाई मां के जीवन में नई उमंग उत्साह और खुशियां आ जाती है। कहानी की शिक्षा-ईश्वर अच्छे के साथ अच्छा करता है। और बुरे के साथ बुरा छोटे बड़े सब कर्मों का फल देर सवेर जरूर मिलता है।



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