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Ramdin.is.mine रामदीन मेरा है।

रामदीन यूपी के मजूपुर गांव  का रहने वाला था। गांव के बड़े रोड के किनारे पर उसकी बाल काटने की दुकान थी। रामदीन के परिवार में उसकी सुंदर और सुशील पत्नी थी। दो बेटियां एक बेटा था। और स्वर्गवासी मां की निशानी एक गधा था। गधे को उसकी मां ने बचपन से  पाला था। रामदीन की मां  रामदीन औरगधे  से एक समान प्यार करती थी। गधा भी रामदीन की मां रामदीन के परिवार से बहुत प्यार करता था। रामदीन की मां के मरने के बाद रामदीन और उसकी पत्नी मां की आखिरी निशानी समझ कर गधे का बहुत ख्याल रखते थे। रामदीन की पत्नी महिलाओं के कपड़े सिल कर घर के खर्चों में रामदीन  की मदद करती थी।

बालकाटने के अलावा रामदीन शादी विवाह में बिचौलिए का काम भी करता था। इस वजह से लोग उसे बिचौलिया साहब  कह कर भी पुकारते थे। रामदीन को दावत खाने का बहुत शौक था। दावत खाने के चक्कर में वह ना तो मौसम देखता था, ना दिन रात इस वजह से कई बार वह संकट में फंस चुका था। पर रामदीन में एक अच्छा गुण यह था, कि उसे किसी भी लड़की की शादी का न्योता मिलता था, तो वह कन्यादान जरूर देता था, दावत मिले या ना मिले।जब रामदीन को बाहर दावत नहीं मिलती थी।

तो वह घर में ही पूरी  आलू सीताफल की सब्जी बूंदी का रायता मूंग की दाल कीकचौड़ी लड्डू बनवा लिया करता था। और अपने घर ही दावत का आनंद उठाता था।  एक दिन रामदीन अपनी दुकान पर बाल काट रहा था। दो ग्राहक आपस में बात कर रहे थे,

कि कोई बहुत बड़े संत महात्मा आए हुए हैं। और वह पूजा अर्चना के बाद ऊंचे गांव के मैदान में बहुत बड़ा भंडारा करेंगे। रामदीन उनकी बात बड़े ध्यान से सुनता है।  और भंडारे की बात सुनकर मन ही मन बहुत खुश होता है। ऊंचा गांव उसके गांव से 10 किलोमीटर दूरी पर था। पर रामदीन को तो सिर्फ दावत खाने से मतलब था। दूर हो चाहे पास घर पहुंच कर भंडारे मे जल्दी सुबह जाने की वजह से रात को जल्दी सो जाता है। और सुबह जल्दी उठ कर नहा धोकर तैयार हो जाता है। पर उस दिन बहुत गर्मी थी। सुबह से ही तेज धूप गरम गरम  लू चल रही थी। और भंडारे के लिए उसे 10 किलोमीटर दूर जाना था। इसलिए रामदीन 

अपनेगधे पर बैठकर जाने का फैसला लेता है। घर से निकलते निकलते धूप बहुत तेज हो जाती है। और आधे रास्ते पर पहुंचने पर टीका टॉक  दुपहरी और तेज तेज गर्म हवाओं के कारण ऊपर से भूख प्यास  की वजह सेरामदीन चक्कर खाकर गधे से नीचे गिर जाता है। और थोड़ी देर में ही भूख प्यास और गर्मी से गधा भी चक्कर खा कर नीचे गिर जाता है। रामदीन को सामने एक पुराना गूलर का पेड़ नजर आता है। रामदीन अपने गधे को लेकर उस पुराने बड़े गूलर के पेड़ की छांव में जाकर लेट जाता है। गधे और रामदीन को वहां थोड़ी राहत महसूस होती है।

 गूलर के पेड़ के नीचे चबूतरे के पास एक छोटा सा कुआ भी था। रामदीन कुएं में से ठंडा पानी निकाल कर खुद पीता है, और गधे को पिलाता है। फिर रामदीन की निगाह वहां खड़ेचार-पांच लोगों पर पढ़ती है। वह देखने में बड़े खतरनाक खूंखार लग रहे थे। तभी वहां एक गांव की नई नवेली दुल्हन बहुत से सोने-चांदी के गहने पहने अपने पति के साथ आती है। वह चारों पांचों लोग जो पहले से खड़े थे। हथियारों के साथ उस नई नवेली दुल्हन के जेवर लूटने लगते हैं। और नई नवेलीदुल्हन के पति     को पीटते हैं। रामदीन समझ जाता है, यह खतरनाक चोर है। रामदीन बिना सोचे समझे नई नवेली दुल्हन और उसके पति को बचाने के लिए उन चोरों हमला कर देता है। रामदीन का गधा रामदीन से बहुत प्यार करता था। और बुद्धिमान भी बहुत था। रामदीन का गधा भी समझ जाता है, की रामदीन नई नवेली दुल्हन और उसका पति किसी बड़ीमुसीबत में है। इसलिए गधा भी हमला कर देता है।

 रामदीन और गधे के हमला करने से चारों पांचो  चोर घबरा जाते हैं। उनमें से एक चोर बड़ा सा चाकू निकालकर गधे की गर्दन काट देता है। और दूसरा चोर रामदीन के पेट में त्रिशूल घुसा देता है। पर रामदीन और गधा अपनी बहादुरी से उन चोरों को वहां से भगा देते हैं। और नई नवेली दुल्हन और उसके पति की जान बचा लेते हैं।  पर भयानक रूप से घायल होने की वजह से रामदीन और गधे के वही प्राण निकल जाते हैं। गधा औररामदीन बिना दावत खाए भूखे  प्यासे दुनिया को छोड़ कर चले जाते हैं। इतने में कुछ राहगीर और आसपास के गांव के लोग वहां पहुंच जाते हैं। उनमें कुछ हिंदू थे और कुछ मुसलमान

हिंदू कहते हैं “शायद चोर मुसलमान थे, तभी तो उन्होंने इतनी बेरहमी से चाकू  से गधे को हलाल कर दिया है।” मुसलमान लोग कहते हैं नहीं चोर हिंदू थे उन्होंने इस व्यक्ति के पेट में त्रिशूल गोपा है।”कुछ साल बीतने के बादएक बात चारों तरफ फैलने लगती है, कि रामदीन और उसके गधे  की पवित्र आत्मा  आने जाने वाले राहगीरों यात्रियों औरत बच्चों बड़े बूढ़ों और  बरातो की चोरों से उस गूलर के पेड़ के नीचे रक्षा करते हैं, जहां उनके प्राण निकले थे।

और एक दिन आसपास के गांव के पंडित मंदिर के पुजारीऔर कुछ धर्म के ठेकेदार उस गूलर के पेड़ के नीचे रामदीन और गधे का मंदिर बनवाना शुरू कर देते हैं। उसी समय मस्जिद के मौलवी कुछ मुसलमान भाइयों को इकट्ठा करके वहां पहुंच जाते हैं। और कहते हैं”इस व्यक्ति को और गधे को हिंदू चोरों ने त्रिशूल से मारा था। इसलिए यहां इन दोनों की मजार बनेगी।”हिंदू कहते हैं “चोरों ने गधे  को  चाकू से हलाल किया था। , इसलिए चोर मुसलमान थे, यहां इनका मंदिर बनेगा।”यह बात पहले गांव-गांव फैलती है, उसके बाद जिला फिर शहर में इस  मुद्दे का  कोई हल तो नहीं निकलता पर पूरे शहर में कर्फ्यू जरूर लग जाता है। रामदीन का बेटा बड़ा हो गया था। वह रामदीन के बाल काटने की दुकान संभालने लगाता है। पर दंगे फसाद की वजह से आधी रात को कोई उसकी दुकान जला देता है। कर्फ्यू की वजह से जानवर भी भूखे मरने लगते हैं। कहानी की शिक्षा-अपने स्वार्थ के लिए मनुष्य   किसी के बलिदान से भी फायदा उठाने से नहीं डरता।



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