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Ghost.of.Mountains पहाड़ों का भूत

मुकेश पेशे से ड्राइवर था। एक मिनी बस के अलावा उसका इस जीवन में कोई भी नहीं था। मुकेश मसूरी से चंपा और चंपा से मसूरी के पूरे दिन चक्कर लगा लगा कर यात्रियों को छोड़ता था।मुकेश मसूरी के बस अड्डे के पास अपनी मिनी बस को खड़ी कर के  उसी में सोता था। बस में ही मुकेश का खाने पीने का सामान पहनने के कपड़े रहते थे। मुकेश एक होशियार ड्राइवर था। उससे जो भी गाड़ी चलाना सीखता था। उसे मुकेश के नाम के कारण  आसानी से ड्राइवर की नौकरी मिल जाती थी। हर इंसान की तरह मुकेश में भी कुछ कमियां थी। उसका स्वभाव गुस्से वाला और चिड़चिड़ा था। और उसमें सबसे बड़ी कमी थी, उसकी चाय की लत।

अपनी मिनी बस में यात्रियों को छोड़ते वक्तउसे कहीं चाय की दुकान मिल  जाती थी, तो वह बस को बीच में ही रोक देता था। इस वजह से उसका यात्रियों से झगड़ा भी हो जाता था। पर चाय पीने में कितना भी समय बर्बाद करने के बाद भी यात्रियों को समय पर उनके ठिकाने पर पहुंचा देता था। और कोई यात्री अगर उसे किराए के पैसे कम देता था, तो  उसे बीच में ही उतार देता था।  एक दिन सुबह से ही मौसम खराब था। उस दिन मुकेश को यात्री भी कम ही मिलते हैं। और जो मिलते हैं, वह भी जल्दी से जल्दी अपने घर पहुंचना चाहते थे। शाम होते-होते मौसम और खराब हो जाता है। बारिश पड़ने लगती है। और बर्फ पड़ने जैसे हालात हो जाते हैं। उस दिन ना तो सुबह से मुकेश को यात्री मिले थे, और ना ही उसे चाय पीने को। शाम होते-होते मुकेश चाय पीने के लिए बेचैन हो जाता है। और अपनी मिनी बस लेकर चाय पीने दुकान पर जाता है। पर मौसम  खराब होने की वजह से चाय की दुकान जल्दी बंद हो गई थी। फिर वह एक दुकान से पहाड़ों की दूसरी दुकान पर जाता है। वह दुकान भी उसे मौसम खराब होने की वजह से बंद मिलती है। चाय की लत की वजह से उसकी बेचैनी बढ़ने लगती है अब तक मुकेश समझ चुका था, कि मौसम खराब होने की वजह से पहाड़ की सारी दुकानें जल्दी बंद हो रही हैं। इस वजह से वह अपनी मिनी बस 100 की स्पीड से दौड़ाकर पहाड़ पर चाय की दुकान ढूंढने निकल पड़ता है।

 मुकेश एक होशियार ड्राइवर था, पर चाय पीने की बेचैनी की वजह से उसका सारा ध्यान चाय की दुकानों पर था। बर्फ और बारिश की वजह से पहाड़ की सड़क पर फिसलन हो गई थी। मुकेश की गाड़ी की स्पीड 100 से ज्यादा थी।इन सब कारणों की वजह से मुकेश मिनी  बस से अपना नियंत्रण खो देता है। और एक खाई में बस को लेकर गिर जाता है। खाई में गिरते ही बस के परखच्चे उड़ जाते हैं। और मुकेश की मौत हो जाती है।

मुकेश की मौत की खबर मसूरी से चंपा तक फैल जाती है। मुकेश का स्वभाव कैसा भी था, पर उसमें एक अच्छा गुण था, वह यात्रियों को समय पर उनके ठिकाने पर पहुंचा देता था। मुकेश की मौत के बाद एक बात धीरे-धीरे मसूरी से चंपा तक फैल जाती है, कि मुकेश मरने के बाद एक डरावना भयानक भूत बन गया है। मुकेश का भूत पहाड़ों की चाय की दुकानों पर जाता है।और कूड़ेदान में जो कागज के गिलास में थोड़ी बहुत चाय बची होती है, उसे अपनी लाल-लाल आंखों से घूरता है। मसूरी से चंपा तक की पहाड़ के रास्ते की सारी चाय के दुकानदारों में मुकेश के  भूत की दहशत फैल गई थी। एक दिन रात कोगधा और गीदड़ कहीं घूम फिर कर अपने जंगल वापस आ रहे थे। इतने में गधे की नजर एक चाय की दुकान के पीछे बड़े से पुराने बरगद के पेड़ पर पड़ती है, उस बरगद के पेड़ पर मुकेश का भूत सफेद रंग के कपड़े पहने झूल रहा था। कभी उसके पैर जमीन से टकराते थे, कभी आसमान की तरफ उड़ जाते थे। गधा गीदड़ को यह दृश्य दिखाता है। गीदड़ और गधा दोनों समझ जाते हैं, यह कोई भयानक और डरावना भूत है।और दोनों बिना सोचे समझे आंख मीच कर वहां से, अपने जंगल की तरफ भागना शुरू कर देते हैं।  जंगल के पास पहुंचते ही वह किसी चीज से टकराकर जमीन पर गिर जाते हैं।

वह जिस से टकराते हैं, वह थे उन्हीं के जंगल के दो भेड़िए। दोनों भेड़िए गधे और गीदड़ को प्यार से उठाते हैं, और उनसे घबराहट और डरने का कारण पूछते हैं। गध गीदड़  मुकेश के भूत की सारी कहानी दोनों भेड़ियों  को सुनाते हैं।  दोनों भेड़िए अपना पेट पकड़  कर तेज तेज हंसते हैं। और कहते हैं, “हम दोनों देखते हैं, कि बरगद के पेड़ पर कौन सा भूत है।” गधा और गीदड़ दोनों को बहुत रोकने की कोशिश करते हैं, पर भेड़िए उनका कहना नहीं मानते। गधा और गीदड़ उसी जगह बैठ जाते हैं। कि दोनों  भेडियो को हमारी मदद की जरूरत होगी, तो हम शायद इनकी कुछ थोड़ी बहुत मदद कर पाए। थोड़ी ही देर में दोनों  भेडियोकी दर्दनाक और डरावनी आवाजें आने लगती है। “बचाओ” “बचाओ” की इन दोनों  भेडियो की आवाजें इतनी डरावनी और दर्दनाक तेज थी। कि इनकी आवाज पूरे जंगल में  गुंज जाती है। इनकी आवाज सुनकर उसी जगह जहां गधा और गीदड़ बैठे थे, जंगल के बाकी जानवर भी आ कर इकट्ठे हो जाते हैं। जंगल के जंगली जानवर यह थे, जंगली गाय जंगली बकरी हिरनी औरबंदर भालू उल्लू   काली बिल्ली। गधा और गीदड़ इन सब जानवरों को मुकेश के भूत और भेड़ियों की सारी कहानी सुनाते हैं। उल्लू कहता है “मैं उस चाय की दुकान के पीछे वालेबरगद के पेड़ के पास जा कर देखता हूं, कि उस भूत ने दोनों  भेडियो की क्या हालत की है।

उल्लूकुछ ही देर में वापस आ जाता है।और सब जानवरों से कहता है “यह बहुत हीभयानक और डरावना भूत है। हम सब ने इसका जल्दी अंत नहीं किया, तो यह हमारे जंगल और हम सब जंगली जानवरों का अंत कर देगा। उल्लू की सारी बात सुनने के बाद जंगली गाय कहती है “वह सामने जो काली माता काप्राचीन मंदिर है। इस मंदिर की देवी में बहुत शक्ति है। साल में एक दो बार मनुष्य यहां पूजा करने आते हैं।”  फिर जंगली बकरी कहती है “इस मंदिर में मनुष्यो  द्वारा छोड़ा गया,सारा  पूजा का सामान है। यह सब मैंने अपनी आंखों से देखा है।”जंगली बकरी बंदर और भालू के साथ मिलकर प्राचीन मंदिर के अंदर से हवन सामग्री हवन कुंड आदि पूजा का सामान लाकर जंगल की सड़क के किनारे रख देती है। इसके बादजंगली गाय बंदर भालू और गीदड़  को आम की लकड़ियां लाने के लिए भेजती है। यह सब तुरंत ही आम की लकड़ियां  ले आते हैं। फिर हिरनी बकरी और जंगली गाय जल्दी से हवन कुंड तैयार कर देती है। उधर दोनों  भेडियो  की दर्दनाक और दुख भरी आवाजें और तेज हो जाती है। बंदर जल्दी से हवन कुंड की लकड़ियों  में दो पहाड़ी पत्थरों  को टकराकर आग लगा देता है।

जंगलीगाय कहती है, “इस हवन कुंड के धूऐ को फूंक  मार मार कर  चाय की दुकान वाले  भूत तक पहुंचाओ।” “जिससे वह भूत इस धूऐ में फंसकर हवन कुंड अग्नि में आकर भसम हो।”फिर  गधा गीदड़ कहते हैं “उस चाय की दुकान तक हवन कुंड के धुऐ फूंक मार मार करपहुंचाना संभव नहीं।”उल्लू बीच में बात काट कर कहता है “मैं और काली बिल्ली ऐसे जीव जंतु है, कि हमें देख कर भूत  जल्दी आकर्षित होते हैं।”इसलिए मैं और बिल्ली चाय की दुकान के करीब जाकर बैठ जाते हैं। जैसे ही  भूत हमें देख कर हमारे ऊपर आकर्षित होगा,  हम दोनों भाग कर हवन कुंड के पास आ जाएंगे और वह भी हमारे पीछे पीछे आ जाएगा।”

यह दोनों चाय की दुकान के पास जाकर बैठ जाते हैं।  और मुकेश के भूत की नजर पहले उल्लू के ऊपर पड़ती है। मुकेश अपनी लाल-लाल डरावनी आंखों से उल्लू को घूरता है। और अचानक उल्लू के अंदर मुकेश का भूत घुस जाता है। मुकेश के भूत के घुसते ही उल्लू अपने पर फड़फड़ा कर चारों तरफ उड़ने लगता है। और  हवन कुंड के पास आकर जानवरों पर हमला कर देता है। फिर मुकेश का भूत काली बिल्ली में घुस जाता है काली बिल्ली  तेज तेजचीख चीख  कर नाचना शुरु कर देती है। और अपने पंजों से बंदर भालू गीदड़ को  घायल कर देती है। इतने में  मौका देख कर दोनों भेड़िए चाय की दुकान से भागकर हवन कुंड के पास आकर बेहोश हो जाते हैं।

जंगली गाय और बकरी सब जानवरों को फूंक मार मार कर हवन कुंड का धूआ तेज करने के लिए कहती है। पर मुकेश का भूत कभी उल्लू मैं  घुस रहा था, कभी काली  बिल्ली  में इस वजह से भूत  हवन कुंड के धूऐ के करीब नहीं आ रहा था। और जानवरों के काबू से बाहर हो जाता है। जल्दी से  तेजआवाज लगाकरजंगली गाय हिरनी और जंगली बकरी सब जानवरों से कहती है “यहां से जल्दी भाग कर प्राचीन मंदिर के अंदर जाकर छुप जाओ।”भालू गधा बंदर दोनों बेहोश भेड़ियों के पैर पकड़कर खींचते हुए प्राचीन मंदिर के अंदर ले आते हैं। और खुद भी प्राचीन मंदिर के अंदर  आकर छुप जाते हैं। मंदिर के अंदर पहुंच कर सारे जानवर बहुत दुखी होते हैं। उन्हें समझ आ गया था, कि आज रात हम सब का मौत होने वाली है। उसी समय पहाड़  की खाई में से तेज तेज आवाज आती है।

यह  सुअरो के झुंड की आवाज थी।इनको देखकर प्राचीन मंदिर में छुपे सारे जानवर खुशी से तालियां बजाने लगते हैं। और अपनी तेज तेज आवाज में सुअरो के झुंड को मुकेश के भूत की सारी कहानी सुनाते हैं। सुअरो का झुंडइनकी सारी बात समझ जाता है।  और हवन कुंड पास बैठकर दो सूअर अपने दांत निकाल कर मुकेश के भूत की तरफ बैठ जाते हैं। और बाकी सूअर तेज तेज हवन कुंड के धुए में फूंक मारना शुरू कर देते हैं। और मुकेश का भूत कालीबिल्ली और उल्लू में से निकल कर हवन कुंड के  धूऐ में फस कर हवन कुंड में आकर भस्म हो जाता है। और सारे जंगली जानवर प्राचीन मंदिर में से निकल कर भाग कर सुअरों को अपने गले से लगा लेते हैं। और सब खुशी मेंउछल कूद कर के नाचते गाते हैं। दोनों भेड़िए भी सुअरो और जंगल के बाकि जानवरों को

शुक्रिया कहते हैं।

Rakesh RakeshLast Seen: Mar 21, 2023 @ 8:36pm 20MarUTC

Rakesh Rakesh

Ved Ram



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