है रास्ता बहुत विकट
अभी न लक्ष्य है निकट
इसी गति से चलना है
नहीं किसी से डरना है !
है क़ायर वो जो सोते है
छुपा के मुह को रोते है
ये अस्थियाँ फौलाद है
तू शेर की औलाद है !
है रात्रि का काल भी
है दुश्मनों का जाल भी
जो बेड़िया जकड़ गयी
ये अस्थियां अकड़ गयी!
नहीं कभी भी रुकना है
कभी न तुमको झुकना है
चुनौतियों से जो डरा
था ज़िंदा फिर भी है मरा !
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