कभी खुद को तू उसकी जगह
शायद सामने खड़ा दिख रहा गरीब है
पर ये भी तो हो सकता है दिल से तुझसे ज्यादा वो अमीर है
अगर कभी किसी को तुझे पड़े तुच्छ समझना
जाकर आईने में तू खुद से पूछना
क्या सही था मेरा ये उसके साथ करना?
या क्या सही था मेरा उसको ये कहना?
शायद सामने वाला हो गुस्से में
तो उसे समझना
तेरी नाराज़गी नहीं होनी चाहिए उसके हिस्से में
खुद से एक बार जरूर कहना।
गलतफहमी के है के कई रूप
कभी झूठ तो कभी मजबूरी
एक बार ही सही,
उसकी बातो को सुनना है तुझे जरुरी
कभी खुद को उसकी जगह रखना
शायद हो कोई मजबूरी,
एक बार खुद से कहना।
अपना गुस्सा शांत होने पर एक बार उससे बात करना
बस तू सबसे पहले खुद को उसकी जगह रखना।
धन्यवाद।
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