आज भी मेरे समाज में नारी के साथ ऐसा कहीं ना कहीं क्यों होता हैं……?

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12th September 2024 | 2 Views | 0 Likes

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लोगो द्वारा चुप्पी

आज भी मेरे समाज में नारी के साथ ऐसा कहीं न कहीं होता है

घर में बेटी के होने से सरनाटा छा जाता हैं

बेटी को पिछले जन्म का पापा समझा जाता है

थोड़ा उनको कानून का दर होने से ,ना चाहते हुए भी उसे अपनाया जाता हैं

बचपन से ही उसके साथ भेद भाव का तरीका आजमाया जाता हैं

पढ़ने की उम्र में पढ़ाया नहीं जाता

घर की दहलीज पार उसे ले जाया नही जाता

किसी के सामने अपना मत नही रखने दिया जाता

आज भी मेरे समाज में नारी के साथ ऐसा कहीं न कहीं होता है

पिंजरा ना होने से, घर की चार दीवारों को पिंजरा बना बना दिया जाता हैं

एक बार फिर किसी लड़की के सपनो को जला दिया जाता हैं

नादान उम्र में ही बड़ो सा तोर तारिका सिखाया जाता हैं

अगर थोड़ी अपनी मन मानी कर ले तो उसे शादी के नाम से डराया जाता हैं

लडको से मत बोलना, हंसना मत, तेज मत बोलना, कपड़े सही से पहनना, घर से मत निकलना ये सभी उसे ध्यान से समझाया जाता हैं

बाली उम्र में ही उसके लिए लड़का देख लिया जाता हैं

शादी के लिए उसका मत तक नही पूछा जाता हैं

और कुछ समय बाद , उसके हाथ पीले कर अपने ही घर से विदा कर दूसरे घर भेज दिया जाता हैं

शादी होने पर पराए घर से आई, ना जाने कैसी होगी

इस बात पर उसे सुनाया जाता है

अच्छा दहेज ना मिलने पर,उसे हर बात पर नीचा दिखाया जाता हैं

शादी के एक साल तक बच्चे ना होने पर उसके मातृत्व पर सवाल उठाया जाता हैं

ससुराल में जहा उसकी गलती नही , वहा भी उसे गलत ठहराया जात हैं

कही कही तो उसे जान से मार दिया जाता हैं

अगर कर ले पराए मर्द से बात,तो उसके चरित्र पर सवाल उठाया जाता हैं

इतनी सी बात पर उसपे हाथ तक उठाया जाता है

अपने ही परिवार के लोगो से उसकी आवाज को दबा दिया जाता है

और कही तो उसे जिंदा जला दिया जाता हैं

बेटा ना होने पर उसे शारीरिक मानसिक परतांडना दी जाती हैं

देखा किसी के साथ गलत तो लोगो द्वारा चुप्पी साध ली जाती हैं

अगर हो गई उसके बेटी,तो उसके साथ भी शायद यहीं कहानी दोहराई जाती हैं

नहीं तो उस मासूम की सांसे रोक दी जाती हैं

ऐसा करके उन लोगो द्वारा इंसानियत मार दी जाती हैं

और एक बार फिर लोगो द्वारा चुप्पी साध ली जाती हैं

              

                                                              Neha Dhupia 🖋️



Neha
Neha Dhupia

@Neha-Saini

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