वो हमदम, हमसाया।
थाम के ऊँगली
चलना सिखाया,
रौंध के डर को
लड़ना सिखाया।
कभी दोस्त बना
तो कभी बनके साया
हर पल साथ निभाया
दुनिया की भीड़ से
मुझे बचाया।
कौन कैसा है
सच सच बताया
कभी जो मन में
कोई भ्रम आया
हर बार मिटाया।
तुझे कैसे पुकारूँ
ये बता दे तू,
तूझे रब कहूँ या
तू रब की परछाई
बन कर आया।
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