नही देखना कल मुझे..
जब आज ही पूरा नहीं हुआ
आज ही इतनी उलजने हैं…
तो कल का क्या भरोसा?
मन करता है कभी..
रात में कहीं केद हो जाए..
नही देखनी निराशा कि वो सुबे..
बस छोड़ दो हमें इस रात के माया जाल में..
नही देखना कल मुझे..
जो छोड़ जाते है.. बीच राह मे
सुबह मैं करु इंतज़ार उनका??
ऐसी सुबह मुझे ना चाहिए..
रात भली हैं..
रात भली ..नहीं करती भेद किसी का
ले जाती है सफ़र पर
नही देखना कल मुझे
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