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◆ ए जिंदगी तेरे कायदे भी बड़े अजीब है… सब्र के मीठे फल के चक्कर में वक्त गवाना कहाँ तक ठीक है। ◆ कभी कुछ समझते, कभी थोड़े हँसते, कभी कुछ बातों को टाल गए… ये रिश्ते बचते बचते हम जिंदगी से हार गए।
◆ ए जिंदगी तेरे कायदे भी बड़े अजीब है… सब्र के मीठे फल के चक्कर में वक्त गवाना कहाँ तक ठीक है। ◆ कभी कुछ समझते, कभी थोड़े हँसते, कभी कुछ बातों को टाल गए… ये रिश्ते बचते बचते हम जिंदगी से हार गए।
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