माफ़ करना माँ मुझे
आज घर नहीं आ पाऊंगा
यशोदा के लाडले कान्हा को
माँ देवकी लोरी सुनाती है
रात बहुत लंबी है माँ
आज वहीं सो जाऊंगा
पर माफ़ करना माँ मुझे
आज घर नहीं आ पाऊंगा।
आज धरती माँ मेरे
बाल युं सहलाती है
मैं भूल गया हर युद्ध को
मुझे नींद बहुत आती है
शायद अगले जनम में ही
तुझसे बाल सहलवाउंगा
पर माफ़ करना माँ मुझे
आज घर नहीं आ पाऊंगा।
आज रेशमी चादर भी
सुकून न दे पाएगी
तिरंगे की ही चादर में
नींद गहरी आएगी
अगली बार तिरंगा बनके
साथ तेरे लहराउंगा
पर माफ़ करना माँ मुझे
आज घर नहीं आ पाऊंगा।
खून की बूँदें ये सारी
व्यर्थ थीं सब बह गईं
जाएगी जो साथ मेरे
बस याद तेरी रह गई
ऊँगली पकड़ कर तेरी
क्या शान से चलता था मैं
जब साथ होता था तेरे
किसी से न डरता था मैं
सूर्यास्त ये डराता है
इससे भी बचा लो मुझे
कोई छू ही न पाए ऐसे
आँचल में छुपा लो मुझे
आया था तेरी गोद में
धरती की गोद में जाउंगा
पर माफ़ करना माँ मुझे
आज घर नहीं आ पाऊंगा।
- अनुष्का
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