गहराइयों का समंदर

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12th September 2024 | 4 Views | 0 Likes

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गहरे विचारों का समंदर है यह कविता,

शब्दों की लहरों में बसा है जीवन का मीठा सफर।

 

आँधियों में भटकती आत्मा की खोज,

सपनों के परवानों से जुदा, बदलता हर रोज।

 

सितारों की चमक में छुपा आसमान,

चुपचाप खो जाना, मिलाना अपने मन का महका ज़मान।

 

सिर पर ताज है सपनों का, आँखों में तारे बिछाए,

मन की गहराइयों से उड़कर, चुटकुलों की धारा बहाए।

 

इस कविता की समुंदरी गहराइयों में छुपा है आपका अपना सच,

सबकुछ है इस दुनिया में, जो बसे है आपके दिल की तलाश।

Sanskar Shingane

@Sanskar-Shingane

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