मैं सोचती हूँ मैं क्या हूं,
ज़िन्दगी का अभिन्न अंग हूँ।
एक ख्वाब, एक चाहत, एक अरमान हूँ,
जो हर इंसान के दिल में बसती हैं।
मैं एक पल, एक क्षण हूँ,
जो जल्दी से गुजर जाते हैं।
मैं उस वक्त की एक स्मृति हूँ,
जो दिल में सदा के लिए रहती हैं।
मैं एक छाया, एक सुखद बादल हूँ,
जो अपनी चाप छोड़ जाते हैं।
मैं एक फूल, एक ताजगी हूँ,
जो हर किसी को अपनी ख़ुशबू देते हैं।
मैं एक कविता, एक गीत हूँ,
जो हर इंसान के दिल को छू जाते हैं।
मैं सोचती हूँ मैं क्या हूँ,
पर दिल में एक आस हैं,
कि मैं सिर्फ और सिर्फ,
खुद की ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा हू
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