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यह सुंदर सी छोटी सी कविता मैंने स्वयं लिखी है अपने बच्चे के लिए जिसने स्कूल में सुनाई थी और उसे प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। और इसे मैं आप लोगों के साथ साझा कर रही हूं।
” **त्योहारों का देश है मेरा”*
( *कविता —कनिष्ठा शर्मा)**
1. त्योहारों का देश है मेरा
त्योहारों का देश
भिन्न-भिन्न है लोग यहां के
भिन्न-भिन्न हैं वेष |
2 अंगना में जब इसके
आ जाते हैं कृष्ण कन्हैया,
दही हंडिया फोड़ के सारे
करते ता ता थैया ।
3. बप्पा जी को जाते देख
ना रोना छोटे भैया,
सिंह सवारी करके देखो
आ गई दुर्गा मैया |
4. लंकापति का नाश हुआ
और हुई सत्य की जीत,
प्यार भरा फिर चंदा मामा
ले आती है ईद ।
5. धूम धड़ाका लिए पटाखा
आ जाती दिवाली,
उजियारों से भर जाते हैं
आंगन सारे खाली ।
6. रंग गुलाल भरी पिचकारी
लेकर आई होली,
एक रंग में रंग जाती है
सब धर्मों की टोली।
7. मिलजुल कर सब खशिया बांटो
बात यही विशेष,
्। त्योहारों का देश है मेरा,
त्योहारों का देश
भिन्न-भिन्न है लोग यहां के
भिन्न-भिन्न है वेष ॥
— *कनिष्ठा शर्मा*
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