नमस्कार मेरा नाम कनिष्ठा शर्मा है
मैं हिंदी और अंग्रेजी की कविताएं लिखती हूं , कविताएं लिखना मेरा परमात्मा का दिया हुआ एक छोटा सा गुण है मैं अपने कविताओं के माध्यम से आप सब लोगों से जुड़ना चाहती हूं🙏
काव्य कला के गौरव को
आकाश छुआना चाहती हूं
Miliy पर आना चाहती हूं
पर साथ आपका चाहती हूं,
लाइक और सब्सक्राइब की
सौगात आप से चाहती हूं।।
पेश है मेरी हिंदी भाषा की एक कविता जिसका शीर्षक है
हिंदी भाषा की गौरव गाथा/हिंदी कविता हिंदी दिवस
/मातृभाषा हिंदी
हिंदी भाषा की गौरव गाथा
१ सब श्रृंगार पड़ें फीके, जब रूप छुपा हो बिंदी में।
बारिश की पहली बूंदो सी सोंधी खुशबू हिंदी में।
२ एक राष्ट्र हो एक हो भाषा एक हमारा नारा हो,
रहे जगत में सदा शिखर पर भारत देश हमारा हो।
३. यह अंग्रेजी बन आगंतुक ,देश हमारे आई थी,
दामाद सा प्यार मिला, बन बैठी घर जमाई थी।।
४ अब कितना प्यार लुटाओगे ,यह बात भी जान लो,
अरे !दामाद और घर जमाई में अंतर पहचान लो।
५. दुनिया ने हिंदी के गौरव को ,उसे पल तब पहचाना था,
जब शेर हमारा उनके घर जा, हिंदी में दहाड़ा था।
६. g20 का कर आयोजन ,दुनिया को यह बतलाना था,
‘इंडिया’ तो उनका ‘अड्डा ‘था यह ‘भारत’ देश पुराना था!।
७. हां, हर भाषा का ज्ञान मान हो यह जीवन में है जरूरी,
पर हिंदी में सर्वस्व करो ,जब तक हो ना कोई मजबूरी।
८. तमिल तेलुगू गुजराती में ,कन्नड़ कच्छ मराठी में, भारत मां की सुंदरता ,बसी हुई है सिंधी में,
पर, बारिश की पहली बूंदो सी, सोंधी खुशबू हिंदी में।।
जय हिंद, जय भारत, 🇮🇳
-कनिष्ठा शर्मा
Comments