मंदिर खोजा, मस्जिद खोजा
गिरिजाघर, गुरुद्वारा खोजा
मगर ढूँढ न पाये इसको
जीवनपर्यंत जग सारा खोजा
जहाँ खोजना था बस हमने
वो मनमंदिर ही न खोजा
करते रहे पाठ पूजा हम
व्रत, उपवास और ये रोज़ा
जब से मन के अन्दर झांका
सुखद अनुभूति फिर होने लागी
इष्ट मिलन की आशा में
चिन्ताएँ दूर सब होने लागी
आने लगी नजर अब हमको
इक हल्की सी झलक वो उसकी
जब खुद के मन अन्दर झांका
दर्शन कर पाया तलाश थी जिसकी
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