मेरे सर पे माँ तू हाथ धर
फिर ओर कुछ नहीं चाहिए
इक पल भी मैं न भूल पाऊँ
वरदान बस यही चाहिए
मेरा दिन उदित हो आपके
स्मरण से यह भाव भर
चिंतन सदैव आपका हो
मन में यह प्रभाव कर
दिन रात मुख में आपका
नाम जिह्वा पर रहे
हृदय में माँ प्रेम की
रसधार ये अविरल बहे
माँ आपके सिवा मेरा,
नहीं आसरा कोई ओर है
आपके दर्शन की ख्वाहिश
दिल में मेरे पुरज़ोर है
मैं पूत कपूत हूँ माँ तेरा
कृपा कर शरण में ले लेना
अपराध क्षमा करके माँ तुम
कल्याण मेरा ये कर देना
माँ प्रार्थना है आपके
चरणों में मेरा स्थान हो
निष्कपट, निश्चल भाव से माँ
कोटि कोटि प्रणाम हो
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