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अपना ही कोई दर्द दे दे तो फिर माथा घूमता है

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हर शख्स ना जाने क्या क्या दिल में,

दर्द लेकर घूमता है

अपना ही कोई दर्द दे दे

तो फिर माथा घूमता है

अपने में ही रो रहा जो

नहीं, औरों के सामने

फफक फफक कर रो पड़ा

जब हमदर्द, आया हाथ थामने

कटुता भुला, रूठे हुए अपने

प्यार जताये दिल झूमता है

अपना ही कोई दर्द दे दे

तो फिर माथा घूमता है

दर्द दिल का सामने

औरों के, जो खोलता है

उड़ाते परिहास जब वे

तो फिर खून खोलता है

दिल व्यथित बेदर्द जगत में

दो पल सुकूं के ढूँढता है

अपना ही कोई दर्द दे दे

तो फिर माथा घूमता है

कलम से-प्रेमसिंह ‘गौड़’

Prem SinghLast Seen: Sep 27, 2023 @ 4:21am 4SepUTC

Prem Singh

@Prem-Singh





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