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Rape

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    12th September 2024 | 7 Views | 0 Likes

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    बागों में खिली कच्ची कली थी मै… कुछ दरिंदों ने आके मसल डाला मैं चीखी चिल्लाई मदद की पुकार लगाई पर किसी ने मेरी एक न सुनी मेरे शरीर का कतरे कतरे रोम रोम ने दर्द की सिस्कारी लगाई उन ज़ालिमों ने ज़रा भी रहम न खाई सबने एक-एक करके अपनी प्यास बुझाई… तब भी उनका मन ना भरा सबने मिलके मेरे जिंदगी की लौ बुझाई फिर छिड़ी इन्साफ की लड़ाई सबने मिलके मोमबत्ती जलाई चार दिन सबने सांत्वना दिखाई पांचवे दिन से मै कही नजर ना आई कानून ने भी नज़रे चुराई महोल हुआ शांत फिर एक कहानी सामने आई किरदर थे अलग पर कहानी वही सुनाई…

    Pradipti Nigam

    @Pradipti-Nigam

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